शिवलिंग व रुद्राभिषेक

Sep 02 2022 Tags: sanskrit, Shivlinga, Sloka

The literal meaning of the word Abhishek is – An auspicious bath for a deity. Rudrabhishek means the consecration of Lord Rudra, that is, the anointing of the Shivlinga with the mantras of Rudra. This holy bath is offering to Rudra Shiva. The best way to please Shiva is to do Rudrabhishek. There are many forms and types of Rudrabhishek.

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान (Bath) करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है।। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य से रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै

दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।

मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।

पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।

बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।

जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।

घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।

तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।

प्रमेह रोग शांत्यर्थम्​​ प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।

केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।

शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।

श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!

सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!

पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।

जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।

पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।

महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।

कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।

अर्थात :-

जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।

कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलता है।

दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।

गन्ने के रस से अभिषेक करने पर — लक्ष्मी प्राप्ति होती है।

मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि होती है।

तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इत्र मिले जल से अभिषेक करने से — रोग नष्ट होते हैं।

दूध से अभिषेक करने से — पुत्र प्राप्ति होगी, प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक हो जाता है।

दूध शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।

घी से अभिषेक करने से — वंश विस्तार होता है।

सरसों के तेल से अभिषेक करने से — रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।

शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से —- पाप क्षय होते हैं।

इस प्रकार महादेव शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भी भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप ‘ सत्यं शिवम सुन्दरम् ‘ उदय हो महादेव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि , धन-धान्य , विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ अनेकों मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।

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