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Jai Santoshi mata - Santoshi mata aarti in hindi

Jai Santoshi mata - Santoshi mata aarti in hindi

Santoshi mata is very powerful goddess. Santoshi Mata is referred as the goddess of satisfaction. She is the daughter of Lord Ganesha (No Puranic reference of this fact though) . Santoshi mata accepts all the sorrows, problems and ill fate of all her devotees and blesses them with prosperity and happiness. Maa Santoshi is worshiped on Friday and it is believed that people get all their wishes fulfilled by worshipping Goddess Santoshi by keeping 16 consecutive fasts and following the strict rule of refraining from all the sour eatables. One should chant Santoshi mata aarti for peaceful and satisfactory life.

संतोषी माता एक अहम देवी मानी जाती हैं। संतोषी माता को हिंदू धर्म में संतोष, सुख, शांति और वैभव की माता के रुप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता संतोषी भगवान श्रीगणेश की पुत्री हैं ( हालाँकि पुराणों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता )। संतोष हमारे जीवन में बहुत जरूरी है। संतोष ना हो तो इंसान मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर हो जाता है। संतोषी मां हमें संतोष दिला हमारे जीवन में खुशियों का प्रवाह करती हैं। माता संतोषी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। मान्यता है कि संतोषी माता की उपासना से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उत्तर भारत में माता संतोषी की पूजा के लिए शुक्रवार का व्रत करने का विधान है। सुख-सौभाग्य की कामना से माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत किये जाने का विधान है।माता संतोषी की आरती मन को संतोष देती है व् मन को शांत करती है।

जय माता संतोषी

Santoshi mata aarti

संतोषी माता की आरती 

जय संतोषी माता, जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता॥

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर दुरे प्यारे।
धुप, दीप, मधु मेवा, भोग धरे न्यारे॥

गुड और चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्ति मंडली छाई, कथा सुनत मोहि॥

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनी छाई।
विनय करे हम बालक, चरनन सर नाई॥

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन वासी हमारे, इच्छा फल दीजै॥

दुखी दरिद्री रोगी, संकट मुक्त किये।
बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए॥

ध्यान धरो जन तेरो मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनंद आयेओ॥

शरण गाहे की, लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥

संतोषी माँ की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि-सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे॥

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