Amogh Shiva Kavach in Sanskrit ( अमोघ शिव कवच )
May 04 2017 Tags: Kavach, sanskrit, shiv, Shiva, stotram
Amogh Shiva Kavach is the stotram that provides us Lord Shiva's halo of protection. Whatever be your problems, whether of the horoscope, or spirits or tantra or black magic, this kavach works. I emphasise, it works period! The beauty of this stotra is that you don’t need anything else (like a yantra) to recite it. All you need is complete devotion for Lord Shiva. Chant it once daily or as many times as you can. It is regarded as SWAYAM SIDDHA – that is, the benefits kick-in right after the first recitation. There is no minimum (or maximum) for this stotra. It is regarded as sahastrakshar amogh kavach. Whatever be the problem- graha badha, bhoot badha, tantra badha. Whatever be its material manifestation this kavach always works. Whatever be the cause of mental stress this kavach will work in reducing the problem.
जय श्री महाकाल
अमोघ शिव कवच
शिव कवच अत्यंत दुर्लभ परन्तु चमत्कारिक है, इसका प्रभाव अमोघ है | बड़ी से बड़ी मुसीबतों को समाप्त करने में सिद्धहस्त यह शिव कवच परम-कल्याणकारी है |
अथ विनियोग:
अस्य श्री शिव कवच स्त्रोत्र मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, श्री सदाशिव रुद्रो देवता, ह्रीं शक्ति:, रं कीलकम, श्रीं ह्रीं क्लीं बीजं, श्री सदाशिव प्रीत्यर्थे शिवकवच स्त्रोत्र जपे विनियोग: |
अथ न्यास: (पहले सभी मंत्रो को बोलकर क्रम से करन्यास करे | तदुपरांत इन्ही मंत्रो से अंगन्यास करे| )
करन्यास
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने अन्गुष्ठाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने तर्जनीभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने मध्यमाभ्याम नम:|
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कनिष्ठिकाभ्याम नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्याम नम: |
अंगन्यास
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
ह्रां सर्वशक्तिधाम्ने इशानात्मने हृदयाय नम: |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
नं रिं नित्यतृप्तिधाम्ने तत्पुरुषातमने शिरसे स्वाहा |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
मं रूं अनादिशक्तिधाम्ने अधोरात्मने शिखायै वषट |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
शिं रैं स्वतंत्रशक्तिधाम्ने वामदेवात्मने नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
वां रौं अलुप्तशक्तिधाम्ने सद्योजातात्मने कवचाय हुम |
ॐ नमो भगवते ज्वलज्वालामालिने ॐ
यं र: अनादिशक्तिधाम्ने सर्वात्मने अस्त्राय फट |
अथ दिग्बन्धन:
ॐ भूर्भुव: स्व: |
ध्यानम
कर्पुरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||
श्री शिव कवचम
ॐ नमो भगवते सदा-शिवाय | त्र्यम्बक सदा-शिव !
नमस्ते-नमस्ते । ॐ ह्रीं ह्लीं लूं अः एं ऐं महा-घोरेशाय नमः ।
ह्रीं ॐ ह्रौं शं नमो भगवते सदा-शिवाय ।
सकल-तत्त्वात्मकाय, आनन्द-सन्दोहाय, सर्व-मन्त्र-
स्वरूपाय, सर्व-यंत्राधिष्ठिताय, सर्व-तंत्र-प्रेरकाय, सर्व-
तत्त्व-विदूराय,सर्-तत्त्वाधिष्ठिताय, ब्रह्म-रुद्रावतारिणे,
नील-कण्ठाय, पार्वती-मनोहर-प्रियाय, महा-रुद्राय, सोम-
सूर्याग्नि-लोचनाय, भस्मोद्-धूलित-विग्रहाय, अष्ट-गन्धादि-
गन्धोप-शोभिताय, शेषाधिप-मुकुट-भूषिताय, महा-मणि-मुकुट-
धारणाय, सर्पालंकाराय, माणिक्य-भूषणाय, सृष्टि-स्थिति-
प्रलय-काल-रौद्रावताराय, दक्षाध्वर-ध्वंसकाय, महा-काल-
भेदनाय, महा-कालाधि-कालोग्र-रुपाय, मूलाधारैक-निलयाय ।
तत्त्वातीताय, गंगा-धराय, महा-प्रपात-विष-भेदनाय, महा-
प्रलयान्त-नृत्याधिष्ठिताय, सर्व-देवाधि-देवाय, षडाश्रयाय,
सकल-वेदान्त-साराय, त्रि-वर्ग-साधनायानन्त-कोटि-
ब्रह्माण्ड-नायकायानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोट-शङ्ख-
कुलिक-पद्म-महा-पद्मेत्यष्ट-महा-नाग-कुल-भूषणाय, प्रणव-
स्वरूपाय । ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः, हां हीं हूं हैं हौं हः ।
चिदाकाशायाकाश-दिक्स्वरूपाय, ग्रह-नक्षत्रादि-सर्व-
प्रपञ्च-मालिने, सकलाय, कलङ्क-रहिताय, सकल-लोकैक-
कर्त्रे, सकल-लोकैक-भर्त्रे, सकल-लोकैक-संहर्त्रे, सकल-
लोकैक-गुरवे, सकल-लोकैक-साक्षिणे, सकल-निगम-गुह्याय,
सकल-वेदान्त-पारगाय, सकल-लोकैक-वर-प्रदाय, सकल-
लोकैक-सर्वदाय, शर्मदाय, सकल-लोकैक-शंकराय ।
शशाङ्क-शेखराय, शाश्वत-निजावासाय, निराभासाय,
निराभयाय, निर्मलाय, निर्लोभाय, निर्मदाय, निश्चिन्ताय,
निरहङ्काराय, निरंकुशाय, निष्कलंकाय, निर्गुणाय,
निष्कामाय, निरुपप्लवाय, निरवद्याय, निरन्तराय,
निष्कारणाय, निरातङ्काय, निष्प्रपंचाय, निःसङ्गाय,
निर्द्वन्द्वाय, निराधाराय, नीरागाय, निष्क्रोधाय, निर्मलाय,
निष्पापाय, निर्भयाय, निर्विकल्पाय, निर्भेदाय, निष्क्रियाय,
निस्तुलाय, निःसंशयाय, निरञ्जनाय, निरुपम-विभवाय, नित्य-
शुद्ध-बुद्धि-परिपूर्ण-सच्चिदानन्दाद्वयाय, ॐ हसौं ॐ
हसौः ह्रीम सौं क्षमलक्लीं क्षमलइस्फ्रिं ऐं
क्लीं सौः क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः ।
परम-शान्त-स्वरूपाय, सोहं-तेजोरूपाय, हंस-तेजोमयाय,
सच्चिदेकं ब्रह्म महा-मन्त्र-स्वरुपाय,
श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवते विश्व-गुरवे, स्मरण-मात्र-
सन्तुष्टाय, महा-ज्ञान-प्रदाय, सच्चिदानन्दात्मने महा-
योगिने सर्व-काम-फल-प्रदाय, भव-बन्ध-प्रमोचनाय,
क्रों सकल-विभूतिदाय, क्रीं सर्व-विश्वाकर्षणाय ।
जय जय रुद्र, महा-रौद्र, वीर-भद्रावतार, महा-भैरव, काल-
भैरव, कल्पान्त-भैरव, कपाल-माला-धर, खट्वाङ्ग-खङ्ग-
चर्म-पाशाङ्कुश-डमरु-शूल-चाप-बाण-गदा-शक्ति-भिन्दिपाल-
तोमर-मुसल-मुद्-गर-पाश-परिघ-भुशुण्डी-शतघ्नी-ब्रह्मास्त्र-
पाशुपतास्त्रादि-महास्त्र-चक्रायुधाय ।
भीषण-कर-सहस्र-मुख-दंष्ट्रा-कराल-वदन-विकटाट्ट-हास-
विस्फारित ब्रह्माण्ड-मंडल नागेन्द्र-कुण्डल नागेन्द्र-हार
नागेन्द्र-वलय नागेन्द्र-चर्म-धर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक
त्रिपुरान्तक विश्व-रूप विरूपाक्ष विश्वम्भर विश्वेश्वर वृषभ-
वाहन वृष-विभूषण, विश्वतोमुख ! सर्वतो रक्ष रक्ष, ज्वल
ज्वल प्रज्वल प्रज्वल स्फुर स्फुर आवेशय आवेशय, मम
हृदये प्रवेशय प्रवेशय, प्रस्फुर प्रस्फुर ।
महा-मृत्युमप-मृत्यु-भयं नाशय-नाशय, चोर-भय-
मुत्सादयोत्सादय, विष-सर्प-भयं शमय शमय, चोरान् मारय
मारय, मम शत्रुनुच्चाट्योच्चाटय, मम क्रोधादि-सर्व-सूक्ष्म-
तमात् स्थूल-तम-पर्यन्त-स्थितान् शत्रूनुच्चाटय, त्रिशूलेन
विदारय विदारय, कुठारेण भिन्धि भिन्धि, खड्गेन
छिन्धि छिन्धि, खट्वांगेन विपोथय विपोथय, मुसलेन निष्पेषय
निष्पेषय, वाणैः सन्ताडय सन्ताडय, रक्षांसि भीषय भीषय,
अशेष-भूतानि विद्रावय विद्रावय, कूष्माण्ड-वेताल-मारीच-
गण-ब्रह्म-राक्षस-गणान् संत्रासय संत्रासय, सर्व-रोगादि-
महा-भयान्ममाभयं कुरु कुरु, वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय,
नरक-महा-भयान्मामुद्धरोद्धर, सञ्जीवय सञ्जीवय, क्षुत्-
तृषा-ईर्ष्यादि-विकारेभ्यो मामाप्याययाप्यायय दुःखातुरं
मामानन्दयानन्दय शिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादय ।
मृत्युञ्जय त्र्यंबक सदाशिव ! नमस्ते नमस्ते, शं ह्रीं ॐ ह्रों ।
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